गुर्जर प्रतिहार वंश - Rajasthan History Notes

गुर्जर प्रतिहार वंश – Rajasthan History Notes

गुर्जर प्रतिहार वंश – अध्ययन सामग्री

🏛️ गुर्जर प्रतिहार वंश 🏛️

RPSC/RAS परीक्षा के लिए संपूर्ण अध्ययन सामग्री

6वीं से 12वीं शताब्दी | राजस्थान का स्वर्णिम काल

📚 शब्द व्युत्पत्ति और उत्पत्ति

🔤 शब्द व्युत्पत्ति

  • गुर्जर = गुर्जरात्रा प्रदेश (मरू प्रदेश का भाग)
  • प्रतिहार = राजा के महलों के द्वार रक्षक
  • संयुक्त अर्थ = गुर्जरात्रा प्रदेश के प्रतिहार

📖 प्रारंभिक उल्लेख

  • एहोल अभिलेख – पुलकेशिन द्वितीय (प्रथम उल्लेख)
  • हर्षचरित – बाणभट्ट
  • चीनी यात्री – हेनसांग (भीनमाल)

👑 वंशावली दावा

  • पूर्वज – लक्ष्मण (राम के भाई)
  • सूर्यवंशी – इक्ष्वाकु वंश
  • रघुवंशी – भीनमाल शाखा

🌍 विदेशी मत

  • अरब यात्री – ‘जुर्ज’ या ‘अल गुर्जर’
  • पश्चिमी विद्वान – हूणों के साथ आए
  • भारतीय मत – देशी क्षत्रिय

🧠 स्मरण सूत्र – उत्पत्ति सिद्धांत

“हूण इरान से, आर्य भारत से, लक्ष्मण राम से”
(हूण मत, ईरानी मत, आर्य मत, लक्ष्मण वंशी मत)
🌳 प्रतिहार वंश की शाखाएं
26 शाखाएं (मुहणौत नैणसी के अनुसार)
मुख्य शाखाएं
मण्डोर शाखा
(सर्वाधिक प्राचीन)
भीनमाल शाखा
(रघुवंशी)
कन्नौज शाखा
(साम्राज्यवादी)
उज्जैन शाखा
राजोरगढ़ शाखा
भड़ौच शाखा

🎯 महत्वपूर्ण तथ्य

कुलदेवी

चामुण्डा माता
(मण्डोर)

राज्य चिह्न

वराह
(विष्णु का वराह अवतार)

मुख्य धर्म

हिन्दू धर्म
(वैष्णव-शैव)

👑 मण्डोर शाखा – विस्तृत विवरण
छठी शताब्दी द्वितीय चरण
हरिशचन्द्र (रोहिल्लद्धि)
पारिवारिक जीवन: दो पत्नियां – एक ब्राह्मण वंश से, दूसरी क्षत्रिय कुल से (भद्रा)
पुत्र: भद्रा से 4 पुत्र – भोगभट्ट, कक्क, रज्जिल, दह
मुख्य उपलब्धि: बाहुबल से माडण्यपुर (मण्डोर) विजय, प्राचीर निर्माण
स्थापना: गुर्जर प्रतिहार वंश की नींव
उपनाम: प्रतिहारों का गुरू, आदि पुरूष, मूल पुरूष, संस्थापक
560 ई. से
रज्जिल (हरिशचन्द्र का तृतीय पुत्र)
राजधानी: मण्डोर
धार्मिक कार्य: राज यज्ञ संपन्न
निर्माण कार्य: रोहिंसकूप नगर (घंटियाली) में महामंडलेश्वर महादेव मंदिर
उपाधि: दरबारी ब्राह्मण नरहरि द्वारा ‘राजा’ की उपाधि
महत्व: मण्डोर वंशावली का प्रारंभिक बिंदु
रज्जिल के बाद
नरभट्ट (रज्जिल का उत्तराधिकारी)
उपाधि: पिल्लीपणी (पेल्लोपल्लि)
धार्मिक निर्माण: रोहिंसकूप नगर (घटियाला) में विष्णु मंदिर
स्थापत्य योगदान: मंदिर स्थापत्य कला का विकास
शासन क्षेत्र: मण्डोर और आसपास के क्षेत्र
रज्जिल का पोता
नागभट्ट-I (नाहड़)
व्यक्तित्व: अत्यधिक महत्वाकांक्षी शासक
साम्राज्य विस्तार: मरूप्रदेश में मेड़ता विजय
राजधानी परिवर्तन: मण्डोर → मेड़ता (मेड़न्तकपुर)
पारिवारिक जीवन: रानी जज्जिका देवी से दो पुत्र – भोज व तात
उत्तराधिकार: बड़े पुत्र तात ने राज्य त्यागकर भाई भोज को दिया, स्वयं वैराग्य अपनाया
परवर्ती शासक: भोज → यशोवर्द्धन → चंदुक
दसवां शासक
शीलूक (चंदुक का पुत्र)
प्रमुख विजय: वल्लमण्डल (जैसलमेर क्षेत्र) के देवराज भाटी को पराजित
साम्राज्य विस्तार: त्रावण/तवन क्षेत्र (उ.प. राजस्थान) पर अधिकार
धार्मिक निर्माण: सिद्धेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण
स्थापत्य योगदान: मंदिर वास्तुकला का विकास
शीलूक का पुत्र
झोट प्रतिहार (संगीतकार राजा)
विशिष्टता: प्रतिहारों में एकमात्र वीणा वादक शासक
कलात्मक रुचि: संगीत और कला के संरक्षक
मृत्यु: गंगा में जाकर मुक्ति प्राप्त की
उत्तराधिकारी: पुत्र भिल्लादित्य
परंपरा: भिल्लादित्य ने भी राज्य छोड़कर हरिद्वार में देह त्याग
भिल्लादित्य का पुत्र
कक्क (बहुविद्याविशारद)
विद्वत्ता: व्याकरण, ज्योतिष, तर्क (न्याय) और सर्वभाषाओं में निपुण कवि
सैन्य उपलब्धि: मुंगेर के गौड़ों को परास्त
राजनीतिक स्थिति: नागभट्ट-II का प्रमुख सामंत
युद्ध सहयोग: बंगाल के धर्मपाल के विरुद्ध युद्ध में भागीदारी
पारिवारिक जीवन: दो रानियां – भाटी वंशीय पद्मिनी (बाउक की माता), दुर्लभ देवी (कक्कुक की माता)
837 ई.
बाउक/बालक (कक्क का पुत्र)
महत्वपूर्ण अभिलेख: 837 ई. में मण्डोर के विष्णु मंदिर की प्रशस्ति
ऐतिहासिक महत्व: प्रशस्ति में मंडोर प्रतिहारों की संपूर्ण नामावली
सैन्य उपलब्धि: मण्डोर पर आक्रमणकारी राजा मयूर को पराजित
पारिवारिक संबंध: कक्कुक का सौतेला भाई
861 ई.
कक्कुक (बाउक का सौतेला भाई)
स्थापत्य कार्य: दो जयस्तम्भों का निर्माण – मण्डौर (जोधपुर) और रोहिन्सकूप (फलौदी)
महत्वपूर्ण अभिलेख: 861 ई. में दो घटियाला शिलालेख
ऐतिहासिक योगदान: प्रतिहार वंशावली का विस्तृत विवरण
अभिलेख महत्व: अध्याय 1 में विस्तृत वर्णन उपलब्ध

🏰 मण्डोर शाखा का अंत

12वीं शताब्दी मध्य

चौहानों का मण्डोर क्षेत्र पर अधिकार
मण्डोर दुर्ग प्रतिहारों के पास

1154 ई.

सहजपाल चौहान का लेख
मंडोर पर चौहान प्रभुत्व

1395 ई.

इन्दा शाखा प्रतिहारों द्वारा
चूंडा राठौड़ को दहेज में मण्डोर दुर्ग

🏛️ भीनमाल शाखा – संपूर्ण विवरण
730-760 ई.
नागभट्ट प्रथम (भीनमाल शाखा संस्थापक)
मूल: मंडोर शाखा से निकले
अन्य नाम: नागावलोक, नागावलोक दरबार के स्वामी
व्यापक उपनाम: नारायण की मूर्ति का प्रतीक, राम का प्रतिहार, क्षत्रिय ब्राह्मण, इन्द्र के दम्भ का नाशक, जालौर के गुर्जर प्रतिहारों का संस्थापक
प्रमुख विजय: चावड़ों से भीनमाल विजय (730 ई.), आबू-जालौर विजय
राजधानी क्रम: भीनमाल (श्रीमाल) → उज्जैन
समकालीन शक्ति: सभी राजपूत वंश (गुहिल, चौहान, परमार, राठौड़, चंदेल, चालुक्य) इसके सामंत
अरब प्रतिरोध: म्लेच्छ (अरबी) सेना पराजय, सिन्ध गवर्नर जुनैद के उत्तराधिकारियों को हराकर भड़ौच छीना
पराजय: राष्ट्रकूट दंतीदुर्ग से हार
महत्व: प्रतिहार साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक
760-783 ई.
कक्कुक व देवराज
कक्कुक (कक्कुस्थ): नागभट्ट का भतीजा
स्थापत्य योगदान: मण्डोर में विजय स्तम्भ + विष्णु मंदिर
ऐतिहासिक महत्व: राजपूताना का दूसरा प्राचीन विजयस्तम्भ (प्रथम: समुद्रगुप्त का बयाना भीमलाट)
देवराज: कक्कुक का भाई, नागभट्ट का भतीजा
शासन क्षेत्र: अवन्ति (उज्जैन) का शासक
पारिवारिक योगदान: रानी भूमिकादेवी से वत्सराज का जन्म
783-795 ई.
वत्सराज (प्रतिहार राज्य की नींव)
पारिवारिक पहचान: देवराज व भूमिकादेवी का पुत्र
प्रमुख उपाधि: रणहस्तिन
राजनीतिक उपलब्धि: प्रतिहार राज्य की नींव डालने वाला
सैन्य विजय: औसियां व दौलतपुर अभिलेखों के अनुसार भण्डी जाति पराजय
महत्वपूर्ण संघर्ष: त्रिदलीय संघर्ष प्रारंभकर्ता (150 वर्ष तक चला)
कन्नौज विजय: हर्षवर्धन की मृत्यु (647 ई.) के बाद इन्द्रायुध को हराकर कन्नौज अधिकार
धर्मपाल से संघर्ष: जालौर युद्ध में धर्मपाल को पराजित
राष्ट्रकूट पराजय: ध्रुव प्रथम से हार, मरूस्थल में शरण
साहित्यिक संरक्षण: उद्योतन सूरी की ‘कुवलयमाला’, जिनसेन सूरी की ‘हरिवंशपुराण’ रचना काल
धर्म: शैव मत अनुयायी
निर्माण कार्य: ओसियाँ में सरोवर + महावीर स्वामी मंदिर (पश्चिम भारत का प्राचीनतम जैन मंदिर)
वंशावली महत्व: ग्वालियर शिलालेख में इक्ष्वाकु वंश की उन्नति करने वाला
795-833 ई.
नागभट्ट द्वितीय (त्रिवंशीय संघर्ष नेता)
पारिवारिक पहचान: वत्सराज व सुन्दरदेवी का पुत्र
प्रारंभिक संघर्ष: 806-808 ई. में राष्ट्रकूट गोविन्द-III से पराजय
महत्वपूर्ण विजय: 816 ई. में कन्नौज के चक्रायुध को पराजित
कन्नौज शाखा प्रारंभ: इसी के शासनकाल से कन्नौज शाखा का आरंभ
मुण्डोर/मुंगेर युद्ध: धर्मपाल को पराजित (चक्रायुध धर्मपाल का आश्रित था)
महान उपाधि: परमभट्टारक महाराजाधिराज परमेश्वर
व्यापक विजय: मत्स्यप्रदेश, मालवा, उत्तरी काठियावाड़, किरात प्रदेश, वत्स, कोशाम्बी, तुरूस्क पराजय
साम्राज्य शक्ति: उत्तरी भारत में सर्वशक्तिशाली राज्य
निर्माण कार्य: बुचकला (जोधपुर ग्रामीण) में विष्णु व शिव मंदिर (वर्तमान शिव-पार्वती मंदिर)
समकालीन सामंत: गोविन्दराज चाहमान (गुवक प्रथम), खुमाण गुहिल
मृत्यु: 23 अगस्त 833 ई. को गंगा में जल समाधि

🧠 त्रिदलीय संघर्ष स्मरण सूत्र

“प्रति-पाल-राष्ट्र, कन्नौज पर अधिकार”
(प्रतिहार-पाल-राष्ट्रकूट का 150 वर्षीय संघर्ष)
👑 कन्नौज शाखा – स्वर्णकाल विस्तार
833-836 ई.
रामभद्र (संक्रमणकालीन शासक)
पारिवारिक संबंध: नागभट्ट द्वितीय का पुत्र
शासन समस्याएं: मण्डोर प्रतिहारों का स्वतंत्र होना
सैन्य असफलता: पालों से पराजय
शासन मूल्यांकन: कोई महत्वपूर्ण उपलब्धि नहीं
ऐतिहासिक महत्व: मिहिरभोज के पिता
836-885 ई.
मिहिरभोज (सर्वशक्तिशाली सम्राट)
व्यापक उपनाम: भोज प्रथम, भोजदेव, आदिवराह, प्रभास पाटन (वैष्णव उपासक), प्रतिहारों का सबसे शक्तिशाली शासक
पारिवारिक पहचान: रामभद्र का पुत्र, माता अप्पा देवी, पत्नी चन्द्रभट्टारिका
राज्याभिषेक विवाद: पिता रामभद्र की हत्या करके शासक बना (प्रतिहारों में पितृहंता)
प्रथम अभिलेख: वराह अभिलेख (836 ई.)
प्रसिद्ध अभिलेख: ग्वालियर प्रशस्ति (निर्दतारीय, उत्तरी लिपि, संस्कृत भाषा, आदिवराह उपाधि)
दौलतपुर अभिलेख: ‘प्रभास’ उपनाम
अरब यात्री सुलेमान (861 ई.): भारत का सबसे शक्तिशाली शासक, अरबों का अमित्र, इस्लाम का शत्रु
सुलेमान ग्रंथ: ‘किताब चल सिंघ वल हिन्द’
सैन्य शक्ति: विशाल सेना, भारत की सबसे बड़ी अश्व सेना
प्रमुख विजयें:
– राष्ट्रकूट कृष्ण-II व कलिजरां के जयशक्ति चंदेल को नर्मदा तट पर पराजित
– कृष्ण-II को हराकर मालवा छीना
– पाल देवपाल पराजय
– विग्रह पाल (नारायण पाल) पराजित कर कन्नौज पर पूर्ण अधिकार
साम्राज्य विस्तार: हिमालय तराई से बुदेलखण्ड तक, मरूप्रदेश से पाल साम्राज्य सीमा तक
साहित्यिक योगदान: श्रृंगार प्रकाश, शब्दानुशासन, आयुर्वेद सर्वस्व, कृत्य कल्पतरू, योगसूत्र वृत्ति
मुद्रा: ‘श्री आदिवराह’ अंकित सिक्के
स्कन्ध पुराण: तीर्थ यात्रा हेतु महेन्द्रपाल को शासन सौंपकर सिंहासन त्याग
शासनकाल: 49 वर्ष (सबसे लंबा)
885-910 ई.
महेन्द्रपाल प्रथम (साहित्य संरक्षक)
पारिवारिक पहचान: मिहिरभोज का पुत्र, माता राज्यदेवी
व्यापक उपनाम: निर्भय, निर्भय नरेश, महीपाल, परमेश्वर, संयुक्त सेना को हराने वाला प्रथम प्रतिहार
साहित्यिक महत्व: राजशेखर का संरक्षक एवं गुरु
राजशेखर द्वारा प्रशंसा:
– विद्धशालभंजिका में ‘कुन दिनक’
– बालभारत में ‘ग्रामणी’ (रघुवंशियों में अग्रणी)
राजशेखर विवरण: संस्कृत विद्वान, दरबारी साहित्यकार, महेन्द्रपाल व महिपाल दोनों का संरक्षक
राजशेखर रचनाएं: काव्यमिमांसा, कर्पूरमंजरी (प्राकृत), विशाल भंजिका, बाल भारत, बालरामायण, हरविलास, प्रचण्ड पाण्डव
शासन मूल्यांकन: स्थिर व समृद्ध शासन
910-918 ई.
भोज द्वितीय (उत्तराधिकार संघर्ष)
उत्तराधिकार संघर्ष: महेन्द्रपाल की मृत्यु के बाद महिपाल व भोज-II में संघर्ष
प्रारंभिक सफलता: चैदि सामन्त कोक्कलदेव प्रथम की सहायता से कन्नौज गद्दी
पराजय: चन्देल हर्षदेव की सहायता से महिपाल द्वारा राज्य छीना गया
शासनकाल: केवल 3 वर्ष
ऐतिहासिक महत्व: प्रतिहार शक्ति ह्रास का प्रारंभ
913-943 ई.
महिपाल प्रथम (संघर्षशील शासक)
उपनाम: विनायकपाल, क्षितिपाल
राजशेखर प्रशंसा: ‘आर्यावर्त का महाराजाधिराज’, ‘रघुकुल मुक्तामणी’
मुद्रा: चांदी व तांबे के सिक्के पर ‘श्री आदिवराह’ अंकित
बरामा लेख: सम्पूर्ण पृथ्वी को जीतने वाला
राष्ट्रकूट संघर्ष: सिंहासनारूढ़ होते ही इन्द्र-III से कन्नौज हार, बाद में चन्देल हर्ष की सहायता से पुनः अधिकार
अरब यात्री अलमसूदी (915-916 ई.): ‘अल गुर्जर’, राजा को ‘बोरा’, ग्रंथ ‘महजुल जुहाव’
शक्ति ह्रास: इसके बाद प्रतिहार शक्ति निरंतर क्षीण होती गई
945-948 ई.
महेन्द्रपाल द्वितीय
पारिवारिक पहचान: महिपाल प्रथम का पुत्र, माता प्रज्ञाधना
शासन स्थिति: निर्बल शासन
शासनकाल: मात्र 3 वर्ष
948-953 ई.
देवपाल (निर्बल शासक)
शासन प्रकृति: अत्यंत निर्बल शासक
प्रमुख हानि: चन्देलों का स्वतंत्र राज्य स्थापना
चन्देल आक्रमण: यशोवर्मन चन्देल द्वारा अनेक क्षेत्रों पर अधिकार
मृत्यु: डॉ. ओझा के अनुसार गुहिल वंशी अल्लट के हाथों मृत्यु
953-955 ई.
विनायकपाल
पारिवारिक संबंध: महेन्द्रपाल द्वितीय का पुत्र
अभिलेख साक्ष्य: 954 ई. का खजुराहो अभिलेख
शासनकाल: 2 वर्ष
955-960 ई.
महिपाल द्वितीय
अभिलेख साक्ष्य: 955 ई. का बयाना अभिलेख
उपाधि: महाराजाधिराज महिपाल देव
शासन स्थिति: सीमित प्रभाव
960-990 ई.
विजयपाल
पारिवारिक संबंध: महेन्द्रपाल द्वितीय का पुत्र, देवपाल का भाई
गुजरात हानि: चालुक्य राजाओं का स्वतंत्र होना
शक्ति ह्रास: सामंतों का विद्रोह
990-1018 ई.
राज्यपाल/राजपाल (कायर शासक)
राज्याभिषेक: 990 ई. में विजयपाल के पुत्र के रूप में
महमूद गजनवी आक्रमण: 1018 ई. में कन्नौज पर आक्रमण
कायरता: डरकर कन्नौज छोड़कर पलायन
विनाश: दिसंबर 1018 ई. में गजनवी द्वारा कन्नौज के मंदिर व मकान नष्ट
मृत्यु: भारतीय राजाओं (चंदेल गंड के पुत्र विद्याधर चंदेल) द्वारा संघ बनाकर हत्या
ऐतिहासिक महत्व: प्रतिहार शक्ति के पतन का प्रतीक
1019-1036 ई.
त्रिलोचनपाल व यशपाल (अंतिम शासक)
त्रिलोचनपाल: राज्यपाल के बाद, 1019 ई. में महमूद गजनवी से पुनः पराजय
यशपाल: प्रतिहार वंश का अंतिम शासक (1036 ई.)
अंतिम पतन: 1093 ई. में गहड़वाल शासक द्वारा कन्नौज पर अधिकार
साम्राज्य अंत: प्रतिहारों के साम्राज्य का 1093 ई. में पूर्ण पतन

🎯 मिहिरभोज की महानता के प्रमाण

अरब यात्री साक्ष्य

सुलेमान: “भारत का सबसे शक्तिशाली”
“अरबों का अमित्र”
“इस्लाम का शत्रु”

साम्राज्य विस्तार

हिमालय तराई से बुंदेलखंड
मरूप्रदेश से पाल सीमा
49 वर्षीय शासन

बहुआयामी व्यक्तित्व

5 ग्रंथों का लेखक
आयुर्वेद विशेषज्ञ
न्यायप्रिय शासक

📜 महत्वपूर्ण अभिलेख और स्रोत
अभिलेख/स्रोत वर्ष स्थान मुख्य जानकारी
एहोल अभिलेख छठी शताब्दी बादामी गुर्जर जाति का प्रथम उल्लेख
वाशिन अभिलेख 637 ई. मंडोर प्रतिहारों का अधिवासन मारवाड़ में
घटियाला शिलालेख 837-861 ई. फलौदी हरिशचन्द्र से कक्कुक तक वंशावली
ग्वालियर प्रशस्ति मिहिरभोज काल ग्वालियर आदिवराह उपाधि, सूर्यवंशी दावा
वराह अभिलेख 836 ई. मिहिरभोज का प्रथम अभिलेख
सुलेमान यात्रा वृत्तांत 861 ई. ‘किताब चल सिंघ वल हिन्द’
अलमसूदी 915-916 ई. ‘महजुल जुहाव’, बोरा राजा

🧠 स्मरण सूत्र – मुख्य अभिलेख

“एक वाशी घटी ग्वाली वराह सुल अल”
(एहोल → वाशिन → घटियाला → ग्वालियर → वराह → सुलेमान → अलमसूदी)
🏗️ स्थापत्य कला और संस्कृति

🏛️ महामारु शैली / गुर्जर-प्रतिहार शैली

विकास काल

10वीं-11वीं शताब्दी
पूर्ण विकास

मुख्य देवता

सूर्य और विष्णु
को समर्पित मंदिर

विशेषताएं

भव्य शिखर
उत्कृष्ट मूर्तिकला

🕌 प्रमुख मंदिर निर्माण

  • ओसियां – महावीर स्वामी मंदिर (वत्सराज)
  • रोहिंसकूप – महामंडलेश्वर मंदिर (रज्जिल)
  • बुचकला – शिव-पार्वती मंदिर (नागभट्ट-II)
  • मण्डोर – विष्णु मंदिर (बाउक)

📚 साहित्यिक योगदान

  • राजशेखर – 7 प्रमुख रचनाएं
  • उद्योतन सूरी – कुवलयमाला
  • जिनसेन सूरी – हरिवंशपुराण
  • मिहिरभोज – 5 ग्रंथ (आयुर्वेद आदि)

🏺 कलात्मक केंद्र

  • आभानेरी – भव्य प्रतिमाएं (8वीं-9वीं शताब्दी)
  • राजौरगढ़ – कलात्मक वैभव
  • कन्नौज – मुख्य सांस्कृतिक केंद्र
  • उज्जैन – शिक्षा केंद्र
🎨 महामारु शैली = गुर्जर-प्रतिहार शैली
📿 मुख्य धर्म = वैष्णव और शैव
🏛️ कुलदेवी = चामुण्डा माता (मण्डोर)
📋 परीक्षा में आए महत्वपूर्ण प्रश्न
परीक्षा वर्ष प्रश्न विषय उत्तर
PTET 2 Year 2024 ‘आदिवराह’ उपाधि धारणकर्ता मिहिर भोज
RAS PRE 2023 सुलेमान यात्रा काल भोज प्रथम (मिहिरभोज)
राजस्थान पुलिस 2022 अरब आक्रमण रोकने वाला नागभट्ट प्रथम
AEN Mech 2024 मेड़ता राजधानी बनाने वाला नागभट्ट प्रथम
वरिष्ठ अध्यापक 2023 सौमित्र (लक्ष्मण) उल्लेख अभिलेख ग्वालियर अभिलेख
REET L-2 2023 गुर्जरों की प्रतिष्ठा पुनर्स्थापना नागभट्ट द्वितीय

🎯 परीक्षा फोकस एरिया

“शासक + उपाधि + अभिलेख + स्थापत्य + साहित्य”
(मुख्य 5 क्षेत्रों से प्रश्न आते हैं)
⚡ त्वरित संशोधन कार्ड

📅 महत्वपूर्ण वर्ष

  • 637 ई. – वाशिन अभिलेख
  • 730 ई. – भीनमाल राजधानी
  • 816 ई. – कन्नौज विजय
  • 836 ई. – मिहिरभोज राज्याभिषेक
  • 861 ई. – सुलेमान यात्रा
  • 1018 ई. – गजनवी आक्रमण
  • 1093 ई. – साम्राज्य अंत

👑 प्रमुख उपाधियां

  • रोहिल्लद्धि – हरिशचन्द्र
  • रणहस्तिन – वत्सराज
  • आदिवराह – मिहिरभोज
  • निर्भय नरेश – महेन्द्रपाल
  • विनायकपाल – महिपाल

🏛️ राजधानी परिवर्तन

  • मण्डोर – हरिशचन्द्र
  • मेड़ता – नागभट्ट-I (मण्डोर शाखा)
  • भीनमाल – नागभट्ट-I (भीनमाल शाखा)
  • उज्जैन – भीनमाल के बाद
  • कन्नौज – नागभट्ट-II (816 ई.)

📚 साहित्यिक कृतियां

  • कुवलयमाला – उद्योतन सूरी
  • हरिवंशपुराण – जिनसेन सूरी
  • कर्पूरमंजरी – राजशेखर (प्राकृत)
  • आयुर्वेद सर्वस्व – मिहिरभोज

⚔️ मुख्य युद्ध

  • चावड़ा युद्ध – भीनमाल विजय
  • त्रिदलीय संघर्ष – 150 वर्ष
  • मुण्डोर युद्ध – धर्मपाल पराजय
  • कन्नौज युद्ध – चक्रायुध पराजय

🌟 विशेष तथ्य

  • 26 शाखाएं – मुहणौत नैणसी
  • 500 वर्ष शासन – 6वीं से 12वीं शताब्दी
  • पश्चिम भारत का प्राचीनतम जैन मंदिर – ओसियां
  • एकमात्र वीणावादक शासक – झोट प्रतिहार
🎯 अंतिम संशोधन सारांश
गुर्जर प्रतिहार वंश – एक दृष्टि में

⏰ कालखंड

6वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी
(लगभग 500 वर्ष)

🏛️ मुख्य शाखाएं

मण्डोर (सबसे प्राचीन)
भीनमाल (रघुवंशी)
कन्नौज (साम्राज्यवादी)

👑 महान शासक

नागभट्ट प्रथम (संस्थापक)
मिहिरभोज (सर्वशक्तिशाली)
महेन्द्रपाल (साहित्यप्रेमी)

🎨 सांस्कृतिक योगदान

महामारु शैली
राजशेखर का साहित्य
हिन्दू धर्म संरक्षण

⚔️ मुख्य संघर्ष

अरब आक्रमण प्रतिरोध
त्रिदलीय संघर्ष
महमूद गजनवी

🏆 मुख्य देन

भारत की सुरक्षा
हिन्दू संस्कृति संरक्षण
कला-साहित्य विकास

🧠 अंतिम स्मरण सूत्र

“गुर्जर प्रतिहार – भारत के रक्षक, हिन्दू धर्म के संरक्षक, कला के पोषक”
यही है गुर्जर प्रतिहार वंश की पहचान!

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