राजस्थान का नामकरण

“राजस्थान” नाम का विकास विभिन्न ऐतिहासिक चरणों से होकर गुजरा है।

प्राचीन क्षेत्रीय नाम

प्राचीन काल में, वर्तमान राजस्थान क्षेत्र को एकीकृत नाम से नहीं जाना जाता था, बल्कि इसे विभिन्न क्षेत्रीय नामों से पहचाना जाता था:

  • योद्धे (गंगानगर-हनुमानगढ़)
  • मारवाड़ (पश्चिमी राजस्थान)
  • जांगल प्रदेश (बीकानेर-नागौर क्षेत्र)
  • शेखावाटी (सीकर-चूरू-झुंझुनू)
  • मेव प्रदेश (अलवर-भरतपुर)
  • हाड़ौती (कोटा-बूंदी-बारां-झालावाड़)
  • ढूंढाड़ (जयपुर-दौसा क्षेत्र)
  • मेवाड़ (उदयपुर-चित्तौड़-राजसमंद-भीलवाड़ा)
  • कांठल (प्रतापगढ़-बांसवाड़ा)
  • मेवल (बांसवाड़ा-डूंगरपुर)
  • मांड/वल (जैसलमेर)
  • राठ/अहिरवाटी (अलवर क्षेत्र)
  • अहिछत्रपुर (नागौर)

महत्वपूर्ण नामकरण चरण

1800 ई.

“राजपूताना” शब्द का प्रयोग

जॉर्ज थॉमस द्वारा इस क्षेत्र के लिए पहली बार मौखिक रूप से प्रयोग किया गया।

1805 ई.

“राजपूताना” का लिखित प्रमाण

विलियम फ्रेंकलिन की पुस्तक “The Military Memoirs of Mr. George Thomas” में मिला।

1829 ई.

“राजस्थान”, “रायथान”, “रजवाड़ा”

कर्नल जेम्स टॉड द्वारा अपनी पुस्तक “The Annals and Antiquities of Rajasthan” में प्रयोग किया गया। (टॉड: घोड़े वाले बाबा, गुरु: यति ज्ञान चंद्र)

26 जनवरी 1950

संवैधानिक मान्यता

भारतीय संविधान द्वारा इस क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर “राजस्थान” नाम दिया गया।

“राजस्थान” शब्द का प्राचीनतम उल्लेख

घोसुंडा शिलालेख (चित्तौड़)

तिथि: 532 ई.

उल्लेख: “राजस्थानी” के रूप में

बसंतगढ़ शिलालेख (सिरोही)

तिथि: 625 ई.

उल्लेख: “राजस्थानी द्वितीय” के रूप में

(सेकंड ग्रेड 2018 परीक्षा में पूछा गया)

राज्य के रूप में निर्माण और एकीकरण

स्वतंत्रता के समय राजस्थान विभिन्न रियासतों, ठिकानों और एक केंद्र शासित प्रदेश में बंटा हुआ था, जिनका एकीकरण कर वर्तमान राजस्थान राज्य का निर्माण हुआ।

स्वतंत्रता के समय प्रशासनिक इकाइयाँ

19

रियासतें

3

ठिकाने

(लावा, नीमराना, कुशलगढ़)

1

केंद्र शासित प्रदेश

(अजमेर-मेरवाड़ा)

इन सभी इकाइयों को विभिन्न चरणों में मिलाकर 1 नवंबर 1956 को राजस्थान का वर्तमान स्वरूप सामने आया (एकीकरण प्रक्रिया का विस्तृत अध्ययन अलग से किया जाएगा)।

जिलों का गठन: एकीकरण से वर्तमान तक

राजस्थान के एकीकरण के बाद से लेकर हाल तक जिलों की संख्या और सीमाओं में कई परिवर्तन हुए हैं।

एकीकरण के बाद बने प्रमुख जिले (33 तक)

जिला संख्या जिला गठन तिथि किससे अलग हुआ मुख्यमंत्री
26वां अजमेर 1 Nov 1956 एकीकरण के समय मोहन लाल सुखाड़िया
27वां धौलपुर 15 Apr 1982 भरतपुर शिव चरण माथुर
28वां, 29वां, 30वां बारां, दौसा, राजसमंद (BDR) 10 Apr 1991 कोटा, जयपुर, उदयपुर भैरों सिंह शेखावत
31वां हनुमानगढ़ 12 Jul 1994 गंगानगर भैरों सिंह शेखावत
32वां करौली 19 Jul 1997 सवाई माधोपुर भैरों सिंह शेखावत
33वां प्रतापगढ़ 26 Jan 2008 चित्तौड़गढ़, उदयपुर, बांसवाड़ा वसुंधरा राजे

हालिया जिला पुनर्गठन (2022-2024)

पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने राम लुभाया समिति (गठन: 21 मार्च 2022) की सिफारिश पर 19 नए जिले (प्रभावी रूप से 17 नए + 2 पुनर्गठित) और 3 नए संभाग बनाए, जिससे कुल 50 जिले और 10 संभाग हो गए। आचार संहिता से ठीक पहले मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन जिलों की भी घोषणा की गई।

वर्तमान भाजपा सरकार ने ललित के. पंवार समिति (गठन: जून 2024) और मंत्रिमंडलीय उप-समिति (अध्यक्ष: मदन दिलावर) की सिफारिशों के आधार पर इस पुनर्गठन की समीक्षा की।

प्रमुख निर्णय:

  • मालपुरा, सुजानगढ़, कुचामन जिलों के गठन को निरस्त किया गया।
  • पूर्व में घोषित 19 नए जिलों में से 9 को निरस्त कर दिया गया।
  • 8 नए जिले यथावत रखे गए।
  • 3 नए संभाग (बांसवाड़ा, पाली, सीकर) निरस्त कर दिए गए।
  • वर्तमान स्थिति: 41 जिले (33 पुराने + 8 नए) और 7 संभाग।

जिलों की वर्तमान स्थिति (41 जिले)

यथावत रखे गए 8 नए जिले (गठन: 7 अगस्त 2023):

  • बालोतरा
  • ब्यावर
  • डीग
  • डीडवाना (कुचामन सहित)
  • खेरथल-तिजारा
  • कोटपूतली-बहरोड़
  • फलौदी
  • सलूम्बर

निरस्त किए गए 9 जिले और उनका विलय:

जयपुर ग्रामीण, दूदू: जयपुर जिले में विलय।

अनूपगढ़: भाग गंगानगर और बीकानेर जिलों में विलय।

गंगापुर सिटी: भाग सवाई माधोपुर और करौली जिलों में विलय।

जोधपुर ग्रामीण: जोधपुर जिले में विलय।

केकड़ी: भाग अजमेर और टोंक जिलों में विलय।

नीम का थाना: भाग सीकर और झुंझुनू जिलों में विलय।

सांचौर: जालौर जिले में विलय।

शाहपुरा: भीलवाड़ा जिले में विलय।

संभागीय व्यवस्था: परिवर्तन और वर्तमान स्थिति

प्रशासनिक सुविधा के लिए राजस्थान में संभागीय व्यवस्था लागू है, जिसमें समय-समय पर परिवर्तन हुए हैं।

संभागीय व्यवस्था का इतिहास

  • प्रारंभ (1949): हीरालाल शास्त्री सरकार द्वारा (5 संभाग)।
  • समाप्त (1962): मोहन लाल सुखाड़िया सरकार द्वारा।
  • पुनः प्रारंभ (1987): हरिदेव जोशी सरकार द्वारा (अजमेर 6ठा संभाग बना)।
  • 7वां संभाग (2005): भरतपुर (वसुंधरा राजे सरकार)।
  • अस्थाई वृद्धि (2023): बांसवाड़ा, पाली, सीकर नए संभाग बने (कुल 10)।
  • वर्तमान स्थिति (Dec 2023): बांसवाड़ा, पाली, सीकर संभाग निरस्त। कुल 7 संभाग।

वर्तमान 7 संभाग और उनमें शामिल जिले

*नोट: जोधपुर संभाग में सर्वाधिक 8 जिले हैं। कोटा और बीकानेर संभागों के जिलों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।

राजस्थान की सीमाएं: महत्वपूर्ण तथ्य

अंतर्राष्ट्रीय सीमा (रेडक्लिफ रेखा)

  • कुल लंबाई: 1070 कि.मी.
  • सीमावर्ती जिले (5): गंगानगर, बीकानेर, फलौदी, जैसलमेर, बाड़मेर (उत्तर से दक्षिण)
  • सर्वाधिक लंबाई: जैसलमेर
  • न्यूनतम लंबाई: फलौदी
  • कुल सीमावर्ती जिले: 26 (अंतर्राष्ट्रीय + अंतरराज्यीय)

अंतरराज्यीय सीमा

  • सीमावर्ती जिले (केवल अंतरराज्यीय): 21
  • सीमावर्ती जिले (अंतरराज्यीय + अंतर्राष्ट्रीय): 2 (गंगानगर, बाड़मेर)
  • सर्वाधिक लंबाई: झालावाड़ (मध्य प्रदेश के साथ, 520 किमी)
  • न्यूनतम लंबाई: बाड़मेर (गुजरात के साथ, 14 किमी)

दो राज्यों से सीमा बनाने वाले जिले

  • हनुमानगढ़: पंजाब, हरियाणा
  • डीग: हरियाणा, उत्तर प्रदेश
  • धौलपुर: उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश
  • बांसवाड़ा: मध्य प्रदेश, गुजरात

मध्य प्रदेश से दो बार सीमा बनाने वाले जिले

  • कोटा: अविखंडित रूप से
  • चित्तौड़गढ़: विखंडित रूप से (भीलवाड़ा द्वारा विभाजित)

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